ओल फ्रेंड्स...आप सभी से मेरा निवेदन है....
किसी प्रकार का कुविचार निकाल कर कान्हा का नाम लेकर अपने दिन की शुरुवात और रात की प्रहार होने तक कान्हा का नाम जपते रहिये , कोई भी इंसान बाहर से भला बुरा दीखता नहीं है ,ऐसा इंसान जिसके अन्दर में बदला का भावना हो वो मीठी मीठी बातों से लोगों के मन में कुविचार फैलाते है , अपने ही देश का बर्बादी करने के लिए एक दुसरे को महा संग्राम के लिये तैयार कर रहे है ,१ और १ ग्यारह होने का वास्ता देकर लोगों के दिमाग में कुप्रथा डाला जा रहा हैं और वो दुष्ट इंसान सब को अखण्ड भारत के निर्माण के लिये प्रतिबद्घ करता है..आप सभी से मेरा निवेदन है.... किसी भी प्रकार का कुविचार शंका अथवा लोभ नहीं करना है इस देश को बर्बाद करने से बचाइये , देश के नागरिक होने के नाते और अपने भारत माँ के संतान होने के वास्ते अपने देश को बचाना हमारा कर्तव्य है , श्री कृष्ण जी के महाभारत के युद्ध का वास्ता देकर गलत प्रचार कर रहा है , और भगवत गीता को दोष ठेहेरा रहे है , किसी भी युद्ध को जीतने के लिये गलत रास्ता मत बनाइये , युद्ध लड़कर कोई अमीर नहीं बनता , नियत को स्वच्छ रखिये , और निः स्वार्थ प्रेम बनाकर रखिये एक दुसरे में , दुनियाँ में कोई छोटा बड़ा नहीं है , कोई अमीर कोई गरीब जनम नहीं लेता , हम अपना करम ही लेकर आते है अमीर गरीब का , मेहनत ही सबका रंग लाती है , जैसा करम करेंगे वैसा ही फल प्राप्त होगा ,
भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि :
सुख दुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ ।
ततो युद्घाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि ।।
जो पुरूष बिना किसी दुःख दर्द की चिन्ता बिना किये , सुख की प्राप्ति चाहते है वो कभी मनुष्य नहीं हो सकता है , वो तो एक कुरुर पशु के बराबर है , बिना किसी हानि के लाभ की , विजय प्राप्त करना चाहता है ये उसके लिए असंभव है , जीवन ही एक संघर्ष है , जिसे सुख दुःख के साथ खुद को लड़ना पड़ता है , किसी के कहने पर लड़ना युद्ध कहा जाता है जो हमारे हीत के लिए नहीं है , भगवान् श्री कृष्ण जी के आधार पर चलने से ही जीवन में विजय निश्चित है , और देश का भला इसी में है की शांति बनाकर देश को गलत रस्ते और गलत इंसानों से बचाया जाये , न की कहे सुने बातों में आकर अपने ही देश में प्रलय लाया जाये ।
ॐ नमः भगवते वासुदेवाये नमोह नमः ।
~ ~ जय श्री कृष्ण ~ ~
आप सभी की शुभचिन्तक
~ ~ सदा बहार ~ ~
हैप्पी निर्ज्वाला एकादसी !!
!!! शुभरात्री !!!
No comments:
Post a Comment