~ बिना सावन के उजड़ा चमन ~
ओ कान्हा प्यारे.....
ओ रोये मेरा ये तन मन ,
ओ मेरी सांसों की सरगम , सिसकते रहे ये हरदम ,
ओ दिन रात तुझे पुकारता हे ये मेरा तन मन ,
ओ कान्हा प्यारे......
तेरे ही बाहों में ज़िन्दगी मेरी बीती है ,
सदा बहारों में खिलती गयी मेरी जिंदगानी ,
फिर आंधी ऐसे आई , टूटी बहारों की कलि ,
बिना सावन के उजड़ गई चमन ,
ओ कान्हा प्यारे......
कैसे सुहानी बनेगी ये मेरी बगिया जिंदगानी की ?
कैसे खिलेंगे कलियाँ मेरे मन के जिंदगानी में ?
कैसे आइयेंगे बरसात की बहार ?
कैसे भरेगा मेरा उजड़ा हुआ दिल का चमन ?
और कैसे खिलेंगे फिर से ये सदा बहार ?
ओ कान्हा प्यारे......
ओ कान्हा प्यारे में तेरी कैसे बनूँगी दुल्हनिया ?
मुझको पास बुलाले ओ कान्हा प्यारे ,
मेरी सांसों की सरगम , सिसकते रहे ये हरदम ,
तरसे तेरे दरस को ये नयन ,
ओ कान्हा प्यारे......
~ ~ सदा बहार ~ ~
~ Bina Saavan Ke Ujda Chaman ~
O Kanha Pyaare......
O Roye Mera Tan Man ,
O Meri Saanson Ki Sargam , Sasakte Rahe Ye Hardum ,
O Din Raat Tujhe Pukaarta Mera Ye Man ,
O Kanha Pyaare......
Tere Hi Baahon Me Zindagi Meri Beeti Hai ,
Sadah Bahaaron Me Khilti Gayi Meri Zindagaani ,
Fir Aandhi Aise Aai , Tooti Bahaaron Ki Kali ,
Bina Saavan Ke Ujad Gayi Chaman ,
O Kanha Pyaare......
Kaise Suhaani Banegi Ye Meri Bagiya Zindagaani Ki ?
Kaise Khilenge Kaliyaan Mere Man Ke Zindagaani Me ?
Kaise Aayenge Barsaat Ki Bahar ?
Kaise Bharega Mera Ujda Hua Dill Ka Chaman ?
Or Kaise Khilenge Fir Se Ye Sadah Bahar ?
O Kanha Pyaare......
O Kanha Pyaare Me Teri Kaise Banungi Dulhaniya ?
Mujhko Paas Bulaale O Kanha Pyaare ,
Meri Saanson Ki Sargam , Sisakte Rahe Ye Hardum ,
Taraste Tere Daras Ko Ye Man ,
O Kanha Pyaare......
~ ~ Sadah Bahar ~ ~
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