~ ~ श्री कृष्णाय नमः ~ ~
हे प्रिय श्यामसुन्दर, इस ह्रदय की एकमात्र अभिलाषा है...
जब छोड़ चलु इस दुनिया को, होठों पे नाम तुम्हारा हो...
चाहे स्वर्ग मिले या नर्क मिले, ह्रदय में वास तुम्हारा हो...
तन श्याम नाम की चादर हो, जब गहरी नींद में सोई रहूँ...
कानो में मेरे गुंजित हो, कान्हा बस नाम तुम्हारा हो...
जब छोड़ चलु इस दुनिया को, होठों पे नाम तुम्हारा हो...
चाहे स्वर्ग मिले या नर्क मिले, ह्रदय में वास तुम्हारा हो.
.
रस्ते में तुम्हारा मंदिर हो, जब मंजिल को प्रस्थान करूँ...
चौखट पे तेरी मनमोहन, अंतिम प्रणाम हमारा हो...
जब छोड़ चलु इस दुनिया को, होठों पे नाम तुम्हारा हो...
चाहे स्वर्ग मिले या नर्क मिले, ह्रदय में वास तुम्हारा हो.
..
उस वक्त श्यामसुन्दर आ जाना, जब चिता पे जाके शयन करूँ...
मेरे मुख में तुलसी जल देना, इतना बस काम तुम्हारा हो.
जब छोड़ चलु इस दुनिया को, होठों पे नाम तुम्हारा हो...
चाहे स्वर्ग मिले या नर्क मिले, ह्रदय में वास तुम्हारा हो..
.
अगर सेवा की मैंने तुम्हारा तो मेरी सेवा में तुम प्रस्न हुए हो
तो उसका ये उपहार मुझे मिले.
चाहे स्वर्ग मिले या नर्क मिले, ह्रदय में वास तुम्हारा हो.....
जब छोड़ चलु इस दुनिया को, होठों पे नाम तुम्हारा हो...
.
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
~ ~ जय श्री कृष्णा ~ ~
~ ~ सदा बहार ~ ~
No comments:
Post a Comment