दो अश्क से बनी समंदर , समंदर से बनी सदा बहार ।
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Thursday, June 21, 2012


......क्यूँ मुस्कुरा रहे हो ?

 कान्हा तुम इतना क्यूँ मुस्कुरा रहे हो ?
 क्या बात है जिसको तुम मुझसे छुपा रहे हो ?
 तुम्हारे दो नैनों का राज़ , ज़रा मुझको बतादो कान्हा ,
 इन निगाहों के रास्ते से किसे घायल कर आये हो तुम ,
 तुम्हारे काले रंग का राज , आज किसपर लूटा आये ?
 तुम्हारे इस काले रंग को , ज़रा मुझको भी उधार दे दो कान्हा ,
 में भी तो देखूं , इस रंग को लगाकर , कितने चाहने वाले होंगे मेरे तुम्हारे जैसे ?
 तुम्हारे रंगीले आँखों की रंगत और होंटों के मुस्कान मुझे कुछ कहना चाहे ,
 अब बता भी दो कान्हा , तुम्हारे नैनों का और होंटों का राज़ !!

 .............सदा बहार.............
 Hare Krsna Hare Krsna Krsna Krsna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare.

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