दो अश्क से बनी समंदर , समंदर से बनी सदा बहार ।
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Thursday, June 21, 2012


~ ~ अद्भुद सपना राधे रानी का ~ ~

 एक सुबह श्री राधे और कृष्ण जी निधुवन में सो रहे थे जो की चारो ओर से उनके सखियों द्वारा घिरा हुआ था , जब अचानक राधा रानी रोते हुए उठी , राधा रानी ने श्याम सुन्दर से कहा , ओ प्राणनाथ ! जागो ! मैंने सबसे अद्भुद सपना देखा है । मैंने देखा , की एक निष्पक्ष युवा जिसका शारीर एक उज्जवल सोने के तरह चमक रहा था । मैंने ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा । सुन्दरता के लड़ाई में , उसका भव्य आंकड़ा केमवेदा के विशाल संख्या को जीत जायेगा । वह एक मधुर ख़ुशी के जीत में एक राज कुमार के तरह आनंदित रहा ।

 उनका कोमल , सुनहरा शारीर अलंकृत था आनंद , जवाहरात से जैसे कांप रहे थे , उज्जवल पुलकित सन - सनाहट के साथ आंसुओं के रूप में बह रहा था । उनका ऐसा अनुपम रूप देख कर , सारे सुन्दरता और चमक से उनका घर उज्जवल हो गया , मेरे आँखें थिरक गए और दिल अपना सूद खो दिया और धड़कने लगा ।

 राधा रानी उद्वेग से रोई , ओ प्राण - नाथ ! अन्य पुरुष को देख कर मेरा मन क्यों थिरक रहा है ? जनम से लेकर आज तक मैंने चलते चलते ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा , सपने में या गहरे नींद में तुम्हारा सुन्दर शारीर को मैंने देखा , मानसून के काले बादलों में बारिश होने को तैयार , एक गहरा कुआँ रस से भरा है , अब क्यूँ ऐसा विचित्र उत्क्रमण घटित हो रहा है ? मैंने अपने जीवन काल में वृन्दावन में ऐसा सत पुरुष या देवता नहीं देखा , वृक्ष्य , आत्माएं और तथा नारायण खुद । मेरा मन उन्हें देख कर कभी संतुष्ट नहीं हुआ , मगर इस गौरंग ने मेरा दिल चुरा लिया है , वो हरी नाम जपते चला गया ।जैसे ही उसने बोला राधा रानी मुघ्ध हो गई , फिर रसिका नागर श्री कृष्ण राधा रानी को गले से लगाते हुए उन्हें बार बार मधुर चुम्बन देते रहे । हे प्राण नाथ उठिए ! और बताइये आखिर वो गौरंग है कौन ?

 ~ ~ Amazing Dream Of Radhe Rani ~ ~

 One morning Priyā-Priyatama were sleeping in Nidhuvan surrounded by their dear sakhīs, when suddenly Rādhārāṇī woke up crying. Rādhārāṇī said to Śyāmasundar, O Prāṇanāth! Wake up! I have had the most amazing dream.“I dreamt I saw a fair youth with a body bright as gold which was shining. I have never seen such sight like this. In a battle of beauty, his gorgeous figure would conquer a legion of kāmadevas. He was full of sweetest joy, the prince of bliss (rasarāja).

 “His tender golden body was ornamented with bliss-jewels like shivering, horripolation and tears as he sang and danced in madness. Seeing his incomparable form, his home of all loveliness and radiance has brightened , my eyes were soothed and my heart lost its interest and started beating.”

 Rādhārāṇī anxiously cried, “O Prāṇa - Naath! Why does my mind yearn so much for this other boy? From the day I was born until today I have known nothing in waking, dreams or deep sleep but your beautiful body, dark as a monsoon cloud ready to rain , a deep well brimming with rasa. Why now this strange reversal? In my life here in Vṛndāvan I have seen men and devatas, sylvan sprites and even Narāyaṇa himself. Seeing them never satisfied my mind, but this Gaurāṅga has stolen my heart!” He went on chanting hari naam , O pran nath wake up ! and tell me who is this gaurang ?
 As she spoke Rādhārāṇī fell into a deep swoon.Then rasika-nāgara Śrī Kṛṣṇa embraced Rādhārāṇī and kissed her again and again

 ~ ~ Jai Shri Radhe Krishna ~ ~

 ~ ~ ~ ~ ~ Sadah Bahar ~ ~ ~ ~ ~

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