...................आँखें....................
जब दो आँखें चार हुई थी मेरे कान्हा मुरलीधर से ,
तब आँखों में आंसूं यूँ ही छलक आ गई ,
निग़ाहों में फिर से वो मंजर लहरा जाती है ,
जब मैं मुरलीधर से दुबारा मिली थी अकेली वीरान वृन्दावन के तट पे ।
...जय श्री राधे कृष्ण ...........
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
.............सदा बहार .....................
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