दो अश्क से बनी समंदर , समंदर से बनी सदा बहार ।
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Thursday, June 21, 2012


..कान्हा मैं तेरी जोगन हूँ..

 जब से तुझे देखा है कान्हा ,
 न जाने मुझे क्या हो गया है ,
 हे वृंदावन के बांकेबिहारी ,
 मैं तो तेरी दीवानी हो गई ,

 कान्हा तू मेरी जन्म दाता है ,
 में तेरी पुजारी दासी हूँ ,
 में तेरे दर पे यूँ ही आस लगाके बैठी हूँ ,
 ओ बांके बिहारी जी मेरा सूद बुद कहा खोते जा रहा है ,
 तेरे चौखट पे दिल ये मेरा खो गया है ,
 हे वृंदावन के बांके बिहारी मैं तेरी हो गई ,

 जब से तुझको देखा है मोहन ,
 मेरा भूक प्यास सब मिट गया ,
 तेरे नाम की मोहन भक्ति मिली मुझको ,
 मेरे मुरझाये मन में तेरे नाम के कलिया खिलीं ,
 जो न सोचा कभी था वही हो गया ,
 हे वृंदावन के बांके बिहारी मैं तेरी हो गई ,
 जोगन बनकर आई थी में ,
 अब तेरे नाम पे मगन हो गई में ।
 हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
 हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे..!

 ............सदा बहार...........

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