ऐसी नजर मुझे दे दे कान्हा , मै अपनी बुराई देख सकूँ |
पर्वत बेशक न दिखाई दे स्वामी , पर मै अपने राहें देख सकूँ ||
उपकार तेरा होगा कान्हा मुझ पर , सारी दौलत से बढ़कर |
प्यार तेरा रंगेगा मुझको , कान्हा सारे रिश्तों से चढकर ||
बस इतना कर दे स्वामी , तेरी जय जय कार मै देख सकूँ |
ऐसी नजर मुझे दे दे कान्हा , मै अपनी बुराई देख सकूँ ||
इतनी करना दया मुझपर कान्हा , मै कभी न ढूंडू चतुराई |
तेरे चरणों में रह के स्वामी , बस जानू तेरी हरी नाम की उपकार ||
सारी दुनिया छोड़ कर मै, तेरे दर पर घुटने टेक सकूँ |
ऐसी नजर मुझे दे दे कान्हा , मै अपनी बुराई देख सकूँ ||
दुनिया के सभी विकारों से , स्वामी मै कोसो दूर रहूँ |
तेरी भक्ति की शक्ति से स्वामी , मै सदा भरपूर रहूँ ||
‘ दासी ’ हूँ मै तेरी कान्हा , तेरी दुनिया में अपनी दुनिया देख सकूँ |
ऐसी नजर मुझे दे दे कान्हा , मै अपनी बुराई देख सकूँ ||
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
~ ~ जय श्री राधे कृष्णा ~ ~
~ ~ सदा बहार ~ ~
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