राधा जी ने बांसुरी से पूछा :-
बासुरी यह बताओ कि मैं ,
कृष्ण जी की क्या लगती हूँ ?
तो बांसुरी ने कहा :-
की तुम तो श्री कृष्ण जी की अन्धांगी हो !
तब राधा जी ने बांसुरी से कहा :-
तो श्री कृष्ण जी तुम्हे क्यू ,
अपने होंटों में लगाए रखते है ?
बांसुरी ने कहा की :-
में बांसुरी ज़रूर हूँ ,पर इस बांसुरी में ,
राधा नाम लिखा है
जो श्री कृष्ण जी के होटों से ,
लग के श्री राधा नाम का धुन निकालता है !
जिसे सुन तुम दौड़ी चली आती हो !
समझ सको तो समझो श्री कृष्ण जी की प्यारी हो तुम !
श्री कृष्ण जी तुम को कीतना प्यार करते है ,
ये में जानता हूँ ,
फिर भी तुम इतनी सी बात नहीं समझ पाई ?
और मुझे दोषी ठेहेरा रही हो !
तुम श्री क्रष्ण जी से ही पूछ लो !
की वो तुमसे कितना प्यार करते है !
और बांसुरी के माध्यम से ,
मुझे ही क्यू अपने होटों से लगाए रखते है !
इसका क्या कारण है?
बांसुरी ने कहा :-
-
मैं श्री कृष्ण जी की मर्ज़ी से चलता हूँ
और
उनके मर्ज़ी के बिना पत्ते भी नहीं हील सकते है !!
~ ~ जय श्री राधे राधे ~ ~
~ ~ सदा बहार ~ ~
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