दो अश्क से बनी समंदर , समंदर से बनी सदा बहार ।
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Monday, June 11, 2012

प्राणनाथ

हे प्राणनाथ प्रभु ,
विनती है आपसे ,
तनिक तो ठेहेरिये प्रभु ,
सारे जग की सेवा तो आप करते रहिये ,
पर कुछ सेवा हमे भी करने दीजिये आपकी ,
आपके सेवा के लिए मुझे पुष्पक नहीं मिला ,
तो पञ्च माला लिए आये है हम ,
आपके चरणों में अर्पित करने के लिए ,
प्रभु इसे स्वीकार कर लीजिये !

~ ~ जय श्री राधे कृष्ण ~ ~

~ ~ सदा बहार ~ ~

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