दो अश्क से बनी समंदर , समंदर से बनी सदा बहार ।
Glitter Text Generator at TextSpace.net
free counters

Tuesday, January 29, 2013

कृष्ण नाम का विशवास




कान्हा तुम्हारे भावों में कोई शब्द नहीं,

मेरे शब्दों का कोई अर्थ नहीं,

तुम्हारे नाम के अर्थों में कोई तत्त्व नहीं, 

तुम्हारे नाम पर सब विश्वास करते क्यूँ नहीं ? 

पर दोस्तों को अपने ही दोस्तों पर विशवास नहीं,

एक बहार है जो हर मौसम से दोस्ती करती है,

फिर भी उन्हें ये पता नहीं , क्यूँ लड़ते है दोस्त अपने ही दोस्तों से ?

कान्हा तुम्हारे जैसे दोस्त लोग बनाते क्यूँ नहीं ?

कान्हा उन दोस्तों में तुम ऐसा एहेसास दिलाते क्यूँ नहीं ?

सदा की दोस्ती कान्हा तुमपर कभी कम होगा ही नहीं,

फिर भी लोगों को सदा पर विशवास नहीं,

कान्हा तुम्हारे भजनों में लोगों की भक्ति नहीं,

हरी नाम के मन्त्रों में लोगों को शक्ति नहीं,

हर मनुष्य के शक्लों में व्यक्ति नहीं,

किस पर विश्वास करें कान्हा ?

किसी के भी सुर में संगीत नहीं,

सावन के गीत में बहार नहीं,

लोग अपने आप में अब मीत नहीं, 

कान्हा हम फिर भी तुमपर विशवास करते है,

एक न एक दिन आएगा ऐसा , जब सब सदा पर विशवास करेंगे,

कृष्ण नाम हर गीतों के छंद में आएगा , बहारों में फूल खिलेगा, 

फूलों के महक के साथ कान्हा तुम्हारा नाम सदा रहेगा, 

सच्चे सम्बन्ध कभी नहीं टूटेंगे,

हर कोई सदा कृष्ण नाम पर विश्वास करेगा !


~ ~ सदा बहार ~ ~ 

No comments:

Post a Comment