हरे कृष्ण भज मन प्रेम प्रवाह अनवरत,
मनमोहन सुमिरन का ले व्रत,
ज्योति जगा ले कृष्ण दिव्य दरस की ,
अपना ले नित ज्योतिर्मय पथ की,
सांस सांस जिससे नित आये,
पग-पग हरे कृष्ण गुण जब उसके गाये,
सहज कृपा रस वह बरसाए हरी का ,
उसको ध्याये, दीवानगी इतनी उसको पाए,
सारी सृष्टि, कृष्ण की सूरत को तरसता हो,
भज मन प्रेम प्रवाह अनवरत |
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे |
~ ~ जय श्री राधे कृष्णा ~ ~
~ ~ सदा बहार ~ ~
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