दो अश्क से बनी समंदर , समंदर से बनी सदा बहार ।
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Thursday, June 21, 2012


~ में हूँ तुलसी तुम्हारे चरणों की दासी ~

 मुझे चरणों से लगा ले मेरे श्याम मुरली वाले ,
 मेरी सांस - सांस में तेरा है नाम मुरली वाले ,
 में तुलसी हूँ तेरे चरणों की ,
 भक्तों की तुमने कान्हा हर विपदा है टाली ,
 मेरी भी स्थान सदा अपने चरणों में संभाल लो बांके बिहारी ,
 बिगड़ें बनाये तुमने हर काम मुरली वाले ,
 पतझड़ है मेरी जीवन , में मधुबन की तुलसी हूँ ,
 सुन ले पुकार कान्हा बस एक बार मुझे अपने चरणों में ले ले ,
 बेचैन मन की तुम ही आराम हो मुरली वाले ,
 तुम हो दया के सागर , जन्मों की मैं हूँ तुलसी तुम्हारी प्यासी ,
 दे दो जगह मुझे भी अपने चरणों में बस ज़रा सी ,
 सुबह तुम ही हो , तुम ही मेरे शाम मुरली वाले ,
 तुम्ही ने तो मुझे हर घर के आँगन का शान बनाया है ,
 सुबह शाम दीप जलाने का प्रथा बनाये हो ,
 में हूँ तुलसी तुम्हारे चरणों की दासी ,
 एक बार मुझे अपने चरणों में ले लो कान्हा ।

 ~ ~ जय श्री कृष्ण ~ ~

 ~ ~ सदा बहार ~ ~

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