भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम का अवतार माना जाता है ! उन्होंने इस दुनिया को प्रेम का सच्चा पाठ पढ़ाया ! जब-जब भी असुरों के अत्याचार बढ़े हैं और धर्म का पतन हुआ है तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है। इसी कड़ी में भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया। चूँकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अतः इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी अथवा जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन स्त्री-पुरुष रात्रि बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झाँकियाँ सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। प्रेम के प्रतीक भगवान् के जन्मदिन को सच्ची लगन एवं प्रेम भावना के साथ अपने पूरे परिवार के साथ मनाएं !
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
माखोन चुराकर जिसने खाया,
बंशी बजाकर जिसने नचाया ,
खुशियाँ मनाओ उस कान्हा के जन्मदिन की
जिसने इस विश्व को "प्रेम का पाठ पढ़ाया"
नन्द का लाला बांसुरी वाला,
बृज का उजाला काहना निराला,
बुलावे मोहे गोकुल की नगरी ।
जय श्री कृष्ण
सदा बहार
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