पितृ पक्ष का मतलब बहुत कुछ है,
सिर्फ श्रद्धा ही नहीं है,
सगे सम्बन्धी माता-पिता,
दोस्त-यार, भाई-बहन,
इनमे से आज जो जीवित नहीं है,
भगवन श्री कृष्णा जी ने भी,
अपने माता-पिता को,
लोहे का पिंड दान किया था,
उन्हें इस पितृ पक्ष के समय में,
सूर्यास्त से पहले अर्ध देना,
और सूर्यास्त के बाद पानी चढ़ाना,
तर्पण करना और श्रद्धा का कार्यक्रम करना,
किसी गरीब पंडित को,
दान करना और भोजन करना,
पीपल के पेड़ पर पानी भी देना,
इस पक्ष में हर मनुष्य अपने शुद्ध मन से,
अगर अपने परिजन का तर्पण करता है,
तो उसको मनचाहा वरदान मिलता है,
उनके जीवित रहते हमने उनका श्रद्धा,
या सेवा न किया हो,
तो इस पक्ष पर करने से,
उनके आत्मा को शांति मिलती है,
और उनका आत्मा हमे वरदान देता है,
जैसे संतान प्राप्ति, सुख,
शांति, समृद्धि, अच्छा कर्म,
किसी भी बिज़नस में बढ़ोतरी,
जो अ-विवाहित है,
उनका शादी का योग बनेगा,
अगर किसी व्यक्ति ने कभी,
भूले भटके कोई गुनाह किया है,
तो इस पक्ष पे श्रद्धा या तर्पण करने से,
मनोकामनाये पूर्ण होते है,
सभी के आत्मा को शांति मिले।
जय श्री कृष्णा
सदा बहार
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