दो अश्क से बनी समंदर , समंदर से बनी सदा बहार ।
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Sunday, October 7, 2012

हरी नाम निर्मल भाया


हरी नाम निर्मल भाया , जैसे गंगा नीर !
पाछे पाछे हरी फिरे , कहत कृष्ण कृष्ण.!

हरी नाम कहते रह हर सुबह शाम !
मेरा मन ऐसा पवित्र हो गया है ! 

जैसे एक बूंद गंगा जल !
और हरि स्वयं मेरे पीछे फिरते रहे !

कहते हुए हरे कृष्ण हरे राम !
हरी नाम निर्मल भाया हर सुबह शाम !

यह तो सच है कि भगवान है !
है मगर फिर भी अंजान है !

उस परम शक्ति से करते हैं हम !
हरी नाम की प्रार्थना,

उनकी छ्या रहे सभी के माथे पे !
एक पल रह सके ना हम हरीके बिना ! 

हरी नाम निर्मल भाया , जैसे गंगा नीर !
पाछे पाछे हरी फिरे ,कहते हुए हरे कृष्ण हरे राम !

जय श्री कृष्णा 

सदा बहार

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