दो अश्क से बनी समंदर , समंदर से बनी सदा बहार ।
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Tuesday, May 15, 2012

श्यामा के यादों के अश्क

श्यामा तेरी यादों में जो अश्क बहते है ,

ये मेरे अंग का अनमोल रत्न है ,

इसे में अपने आँखों में समाये रखना चाहूंगी ज़िन्दगी 

भर ,अश्क बहार आये अगर तेरी यादों में मोती बनकर ,

उस अश्क को में कभी बहने न दूंगी ,

ये मेरा वादा है !! 

दोस्तों इस अनमोल रत्न को अगर कोई संभाल कर  

रखे तो उसके ज़िन्दगी में कभी कोई दुःख नाम का चीज़ 

नहीं रहेगा  !!


~ ~ जय श्री कृष्ण ~ ~ 

~ ~ सदा बहार ~ ~ 


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