दो अश्क से बनी समंदर , समंदर से बनी सदा बहार ।
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Monday, June 11, 2012

राधा नाम की बांसुरी


 राधा जी ने बांसुरी से पूछा :- 


बासुरी यह बताओ कि मैं ,

कृष्ण जी की क्या लगती हूँ ?



तो बांसुरी ने कहा :- 

की तुम तो श्री कृष्ण जी की अन्धांगी हो !



तब राधा जी ने बांसुरी से कहा :-

तो श्री कृष्ण जी तुम्हे क्यू ,

अपने होंटों में लगाए रखते है ?

बांसुरी ने कहा की :-


में बांसुरी ज़रूर हूँ ,पर इस बांसुरी में ,

राधा नाम लिखा है
 
जो श्री कृष्ण जी के होटों से ,

लग के श्री राधा नाम का धुन निकालता है !

जिसे सुन तुम दौड़ी चली आती हो !

समझ सको तो समझो श्री कृष्ण जी की प्यारी हो तुम !

श्री कृष्ण जी तुम को कीतना प्यार करते है ,

ये में जानता हूँ ,

फिर भी तुम इतनी सी बात नहीं समझ पाई ?

और मुझे दोषी ठेहेरा रही हो !

तुम श्री क्रष्ण जी से ही पूछ लो !

की वो तुमसे कितना प्यार करते है !

और बांसुरी के माध्यम से ,

 मुझे ही क्यू अपने होटों से लगाए रखते है ! 

इसका क्या कारण है?

बांसुरी ने कहा :-
मैं श्री कृष्ण जी की मर्ज़ी से चलता हूँ 

और

उनके मर्ज़ी के बिना पत्ते भी नहीं हील सकते है !!



~ ~ जय श्री राधे राधे ~ ~  

~ ~ सदा बहार ~ ~

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