दो अश्क से बनी समंदर , समंदर से बनी सदा बहार ।
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Sunday, December 30, 2012

भगवान् से ज़िन्दगी की वार्तालाप



किसी ने भगवान् से कहा :
मुझे ज़िन्दगी से नफरत है ।

भगवान् ने कहा :
तुम्हे किसने कहा की ज़िन्दगी से प्यार करो, 
तुम बस उसे चाहो जो तुम्हे अपने दिल से चाहता हो,
ज़िन्दगी अपने आप खुबसुरत हो जाएगी ।

~ ~ जय श्री राधे कृष्णा ~ ~ 

~ ~ सदा बहार ~ ~ 

Srila Prabhupada's Book


My Books Are The Windows,
To The Spiritual World. 
My Books Are Recorded Chanting. Anyone Who Reads My Books,
Are Hearing From Me.

Jai Shri Srila Prabhupada Maharaj
~ ~ Jai Shri Radhe Krishna ~ ~ 

~ ~ Sadah Bahar ~ ~ 

God Is Developing A Beautiful Future For You


Beautiful Picture Are,

Developed From Negative,
In Dark Room, 
So If Any Time,
You See Darkness,
In Your Life,
It Means God,
Is Developing A,
Beautiful Future For You !

~ ~ Jai Shri Radhe Krishna ~ ~ 

~ ~ Sadah Bahar ~ ~

Wednesday, November 14, 2012

गोवर्धन पूजा


"गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामना"दीपावली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट केनाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्वहैइस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्धदिखाईदेताहैइसपर्वकीअपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायोंकीपूजाकी जाती है । शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकारपवित्रहोतीजैसेनदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है।देवीलक्ष्मीजिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध। 

सेस्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाती के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की ।
जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।...!!!

नंदबाबा ने कहा- बेटा! भगवान इंद्र वर्षा करने वाले मेघों के स्वामी है, ये मेघ उन्ही के अपने रूप है, वे समस्त प्राणियों को तृप्त करने वाले एवं जीवनदान करने वाले जल बरसाते है. हम उन्ही मेघपति इंद्र की यज्ञ के द्वारा पूजा किया करते है उनका यज्ञ करने के बाद जो कुछ बचा रहता है उसी अन्न से हम सब मनुष्य अर्थ, धर्म, काम, की सिद्धि के लिए अपना जीवन निर्वाह करते है। 

भगवान ने कहा –

“श्रीकृष्ण की ने कहा ! प्राणी अपने कर्म के अनुसार ही पैदा होता और कर्म से ही मर जाता है उसे उसके कर्मो के अनुसार ही सुख-दुख भय और मंगलके निमित्तो की प्राप्ति होती है”

ये गौए, ब्राह्मण और गिरिराज का यजन करना चाहिये. इंद्र यज्ञ के लिए जो सामग्रियाँ इकठ्ठी की गयी है उन्ही से इस यज्ञ का अनुष्ठान होने दे .अनेको प्रकार के पकवान – खीर, हलवा, पुआ, पूरी, बनायें जाएँ, व्रज का सारा दूध एकत्र कर लिया जाये, वेदवादी ब्राहाणों के द्वारा भलीभांति हवन करवाया जाये फिर गिरिराज को भोग लगाया जाये इसके बाद खूब प्रसाद खा-पीकर सुन्दर-सुन्दर वस्त्र पहनकर गोवर्धन की प्रदक्षिणा की जाये, ऐसा यज्ञ गिरिराज और मुझे भी बहुत प्रिय है। 

भगवान की इच्छा थी कि इंद्र का घमंड चूर-चूर कर दे. नंदबाबा आदि गोपो ने उनकी बात बड़ी प्रसन्नता से स्वीकार कर ली . भगवान जिस प्रकार का यज्ञ करने को कहा था वैसे यज्ञ उन्होंने प्रारंभ कर दिया .सबने गिरिराज और ब्राह्मणों को सादर भेटे दी, और गौओ को हरी-हरी घास खिलाई फिर गोपिया भलीभांति श्रृंगार करके और बैलो से जुटी गाडियों पर सवार होकर भगवान कृष्ण की लीलाओ का गान करती हुई गिरिराज की परिक्रमा करने लगी. भगवान श्रीकृष्ण गिरिराज के ऊपर एक दूसरा विशाल शरीर धारण करके प्रकट हो गये और ‘मै गिरिराज हूँ’ इस प्रकार कहते हुए उन्होंने अपना बड़ा-सा मुहँ खोला और छप्पन भोग और सारी सामग्री पात्र सहित आरोगने लगे. आन्यौर-आन्यौर,और खिलाओ,और खिलाओ इस प्रकार भगवान ने अपने उस स्वरुप को दूसरे ब्रजवासियो के साथ स्वयं भी प्रणाम किया और कहने लगे – देखो कैसा आश्चर्य है, गिरिराज ने साक्षात् प्रकट होकर हम पर कृपा की है.और पूजन करके सब व्रज लौट आये। 

जब इंद्र को यह पता चला की मेरी पूजा बंद कर दी गयी है तब वे नंदबाबा और गोपो पर बहुत ही क्रोधित हुए इंद्र को अपने पद का बड़ा घमंड था वे स्वयं को त्रिलोकी का ईश्वर समझते थे उन्होंने क्रोध में तिलमिलाकर प्रलय करने वाले मेघों के संवर्तक नामक मेघों को व्रज पर चढ़ाई करने की आज्ञ दी. और स्वयं पीछे-पीछे ऐरावत हाथी पर चढ कर व्रज का नाश करने चल पड़े। 

इस प्रकार प्रलय के मेघ बड़े वेग से नंदबाबा के व्रज पर चढ़ आये और मूसलाधार पानी बरसाकर सारे ब्रज को पीड़ित करने लगे चारो ओर बिजलियाँ चमकने लगी. बादल आपस में टकराकर कडकने लगे और प्रचण्ड आँधी की प्रेरणा से बड़े-बड़े ओले और दल-के-दल बादल बार-बार आ-आकर खम्भे के समान मोटी-मोटी धाराएँ गिराने लगे. तब व्रजभूमि का कोना-कोना पानी से भर गया और वर्षा की झंझावत झपाटे से जब एक–एक पशु और ग्वालिने भी ठंड के मारे ठिठुरने और व्याकुल हो गयी. तब सब-के-सब भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आये, सब बोले - कृष्ण अब तुम ही एकमात्र हमारे रक्षक हो, इंद्र के क्रोध से अब तुम्ही हमारी रक्षा कर सकते हो। 

भगवान ने देखा तो वे समझ गये कि ये सब इंद्र की करतूत है वे मन-ही-मन कहने लगे हमने इंद्र का यज्ञ भंग कर दिया है इसी से व्रज का नाश करने के लिए बिना ऋतु के ही यह प्रचंड वायु और ओलो के साथ घनघोर वर्षा कर रहे है मै भी अपनी योगमाया से इसका भालिभाँती जवाव दूँगा . इस प्रकार कहकर भगवान ने खेल-खेल में एक ही हाथ से गिरिराज गोवर्धन को उखाड़ लिया और जैसे छोटा बच्चा बरसाती छत्ते के पुष्प को उखाडकर हाथ में रख लेते है वैसे ही उन्होंने उस पर्वत को धारण कर लिया। 

इसके बाद भगवान ने कहा – मैया, बाबा और व्रजवासी तुम लोग अपनी गौओ और सब सामग्रियों के साथ इस पर्वत के गड्डे में आकर आराम से बैठ जाओ तब सब-के-सब ग्वालबाल छकडे, गोधन लेकर अंदर घुस गये.थोड़ी देर बाद कृष्ण के सखाओ ने अपनी अपनी लाठिया गोवर्धन पर्वत में लगा दी और कृष्ण से कहने लगे कि ये मत समझना कि केवल तुम ही उठाये हुए हो तब कृष्ण जी ने कहा -
------------------------------------------------------
"कछु माखन को बल बढ्यो कछु गोपन करि सहाय।।
श्री राधा जू कि कृपा से मेने गिरिवर लियो उठाय "  ।।
------------------------------------------------------
भगवान ने सब व्रजवासियो के देखते-देखते भूख प्यास की पीड़ा आराम-विश्राम की आवश्यकता आदि सब कुछ भुलाकर सात दिन तक लगातार उस पर्वत को उठाये रखा वे एक पग भी वहाँ से इधर-उधर नही हुये। 

श्रीकृष्ण की योगमाया का यह प्रभाव देखकर इंद्र के आश्चर्य का ठिकाना न रहा अपना संकल्प पूरा न होने के कारण उनकी सारी हेकड़ी बंद हो गयी. उन्होंने मेघों को अपने-आप वर्षा करने से रोक दिया. जब आकाश में बादल छट गये और सूरज देखने लगे तब सब लोग धीरे-धीरे सब लोग बाहर निकल आये सबके देखते-ही-देखते भगवान ने गिरिराज को पूर्ववत् उसके स्थान पर रख दिया .और व्रज लौट आये . व्रज पहुँचे तो ब्रजवासियों ने देखा कि व्रज की सारी चीजे ज्यो-की-त्यों पहले की तरह है एक बूंद पानी भी कही नहीं है। 

तब ग्वालो ने श्रीकृष्ण से पूंछा –कान्हा सात दिन तक लगातार इतना पानी बरसा सब का सब पानी कहाँ गया .भगवान ने सोचा – यदि मै इन ग्वालवालो से कहूँगा कि मैने शेष जी और सुदर्शन चक्र को व्रज के चारों ओर लगा रखा था ताकि व्रज में पानी न आये.तो ये व्रजवासियो को विश्वास नहीं होगा। 

इसलिए भगवान ने कहा – तुम लोगो ने गिरिराज जी को इतना भोग लगाया, पर किसी ने पानी भी पिलाया इसलिए वे ही सारा पानी पी गये .तब सब ने कहा – लाला गिरिराज जी ने इतना खाया कि हम लोग उन्हें पानी पिलाना ही भूल गये। 

एक दिन भगवान जब एकांत में बैठे थे तब गोलोक से कामधेनु और स्वर्ग से इंद्र अपने अपराध को क्षमा माँगने के लिए आये उन्होंने हाथ जोड़कर १० श्लोको में भगवान की स्तुति की . फिर कामधेनु ने अपने दूध से और इंद्र ने ऐरावत की सूंड के द्वारा लाए हुए आकाश गंगा के जल से देवर्षियो के साथ यदुनाथश्रीकृष्ण का अभिषेक किया और उन्हें ‘गोविन्द’ नाम से संबोधित किया इसके बाद वे स्वर्ग चले गये। 

जय श्री कृष्णा 

सदा बहार 

Friday, November 2, 2012

Karwa Chauth


What Is Karwa Chauth ?

'Karwa Chauth' is a ritual of fasting observed by married Hindu women seeking the longevity, well-being and prosperity of their husbands. It is popular amongst married women in the northern and western parts of India, especially, Haryana, Punjab, Rajasthan, Uttar Pradesh and Gujarat.

What The Term,
Karwa Chauth Means ?

The term 'Chauth' means the 'fourth day' and 'Karwa' is an earthen pot with a spout - a symbol of peace and prosperity - that is necessary for the rituals. Hence the name 'Karwa Chauth'.

Happy Karwa Chauth 

Jai Shri Radhe Krishna !!

Sadah Bahar 

Monday, October 29, 2012

knowledge & full Bliss.


Forgetfulness is caused by the Illusory Energy of Lord (Maya).
Once the influence of this illusory energy get reduced one will began to see Bhagavan, who has the complexion of Dark Cloud, who is in yellow dress, with a beautiful flute in hand and with a Peacock feather on the head.
The wish to be with Lord and to do His devotional service surpasses all material desires and even the wish of liberation.

sadah bahar 

Saturday, October 20, 2012

कान्हा तेरे प्यार


छूया है तेरे प्यार ने मुझे इस कदर,
जितना कल्पना किया था उससे कही गुना ज्यादा,
कि में सँभालते सँभालते थक जाती हूँ,
गली-गली, शहर-शहर,
तेरी रानी बनी फिरती हूँ,
सिर्फ तलाश करती फिरती हूँ,
तेरे चेहरे की एक झलक पाने के लिए,
तालाब के किनारे पर थिरकते रहे जाती हूँ,
हर मौसम में हर मिजाज़ में,
तेरे ही बांसुरी के आवाज़ की कल्पना करते रहती हूँ,
कान्हा में तेरी रानी बनी फिरती हूँ,
न पूछ मेरी दीवानगी का सबब
तू वो बंदगी है जिसपर में फ़िदा होकर मरती हूँ,
सोते-जागते, उठते-बैठते,
तेरे ही नाम की माला जपती हूँ,
तू पास हो या न हो पर में तेरी परछाई को निहारती हूँ,
तेरी याद में रोज़ में फूलों से संवरती हूँ,
हँसती -खेलती, नाचती-गाती,
में तेरी सपनों की रानी हूँ कान्हा। 

जय श्री राधे कृष्णा 

सदा बहार 

Wednesday, October 17, 2012

Chanting the holy name


Chanting the holy name in ecstasy causes Me to dance, laugh and 
cry.’ When My spiritual master heard all this, he smiled and then began to speak.”

Life is tough without the holy names. Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare ! Hari Hari BOL

PURPORT

When a disciple very perfectly makes progress in spiritual life, this gladdens the spiritual master, who then also smiles in ecstasy, thinking, “How successful my disciple has become!” He feels so glad that he smiles as he enjoys the progress of the disciple, just as a smiling parent enjoys the activities of a child who is trying to stand up or crawl perfectly. 

jai shri krishna 

sadah bahar 

Thursday, October 11, 2012

INDIRA EKADASHI


Hari Bol Jai Nitai GaurhariShri Chaitanya Bhagavata..

Life is tough without the holy names. Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare ! Hari Hari BOL GOOD NIGHT ALL.

Lord Gauranga instructs Shri Tapana Mishra in Shri Chaitanya-bhagavata Adi-khanda 

hare krishna hare krishna krishna krishna hare hare;
hare rama hare rama rama rama hare hare. 

ei shloka nama bali’ laya maha-mantra;
shola-nama batrisha-akshara ei tantra. 

“This verse is called the maha-mantra. It contains sixteen holy names of the Lord composed of thirty-two syllables.

sadhite sadhite yabe premankura habe;

adhya-sadhana-tattva janiba se tabe. 
“If you continually and sincerely chant this maha-

jai shri krishna

hari hari bol 

sada bahar 

Sunday, October 7, 2012

हरी नाम निर्मल भाया


हरी नाम निर्मल भाया , जैसे गंगा नीर !
पाछे पाछे हरी फिरे , कहत कृष्ण कृष्ण.!

हरी नाम कहते रह हर सुबह शाम !
मेरा मन ऐसा पवित्र हो गया है ! 

जैसे एक बूंद गंगा जल !
और हरि स्वयं मेरे पीछे फिरते रहे !

कहते हुए हरे कृष्ण हरे राम !
हरी नाम निर्मल भाया हर सुबह शाम !

यह तो सच है कि भगवान है !
है मगर फिर भी अंजान है !

उस परम शक्ति से करते हैं हम !
हरी नाम की प्रार्थना,

उनकी छ्या रहे सभी के माथे पे !
एक पल रह सके ना हम हरीके बिना ! 

हरी नाम निर्मल भाया , जैसे गंगा नीर !
पाछे पाछे हरी फिरे ,कहते हुए हरे कृष्ण हरे राम !

जय श्री कृष्णा 

सदा बहार

Saturday, October 6, 2012

क्या आप सभी को पितृ पक्ष का मतलब पता है ?


पितृ पक्ष का मतलब बहुत कुछ है,
सिर्फ श्रद्धा ही नहीं है,
सगे सम्बन्धी माता-पिता, 
दोस्त-यार, भाई-बहन,
इनमे से आज जो जीवित नहीं है,
भगवन श्री कृष्णा जी ने भी,
अपने माता-पिता को,
लोहे का पिंड दान किया था,
उन्हें इस पितृ पक्ष के समय में,
सूर्यास्त से पहले अर्ध देना,
और सूर्यास्त के बाद पानी चढ़ाना,
तर्पण करना और श्रद्धा का कार्यक्रम करना,
किसी गरीब पंडित को,
दान करना और भोजन करना,
पीपल के पेड़ पर पानी भी देना,
इस पक्ष में हर मनुष्य अपने शुद्ध मन से,
अगर अपने परिजन का तर्पण करता है,
तो उसको मनचाहा वरदान मिलता है,
उनके जीवित रहते हमने उनका श्रद्धा,
या सेवा न किया हो,
तो इस पक्ष पर करने से,
उनके आत्मा को शांति मिलती है,
और उनका आत्मा हमे वरदान देता है,
जैसे संतान प्राप्ति, सुख, 
शांति, समृद्धि, अच्छा कर्म,
किसी भी बिज़नस में बढ़ोतरी,
जो अ-विवाहित है,
उनका शादी का योग बनेगा,
अगर किसी व्यक्ति ने कभी,
भूले भटके कोई गुनाह किया है,
तो इस पक्ष पे श्रद्धा या तर्पण करने से,
मनोकामनाये पूर्ण होते है,
सभी के आत्मा को शांति मिले। 

जय श्री कृष्णा 

सदा बहार 

Wednesday, October 3, 2012

क्या आप जानते हैं


ईसाईयों द्वारा अपने ईश्वर के लिए प्रयुक्त,
किया जाने वाला शब्द "हमारे" हिन्दू धर्म,
से चोरी किया गया है और, 
GOD शब्द और कुछ नहीं बल्कि, 
हमारे अराध्य त्रिदेव का ""अंग्रेजी एवं छोटा रूप"" है,
दरअसल बात कुछ ऐसी है,
जब हमारा सनातन धर्म,
पूरे विश्व में विजय पताका फहरा रहा था,
और हमारे यहाँ रेशमी वस्त्र बनाये एवं पहने जा रहे थे,
उस समय तक पश्चिमी और आज के,
आधुनिक कहे जाने वाले देशों के लोग,
जंगलों में रहा करते थे,
जब हमारे हिंदुस्तान के व्यापारी,
व्यापार के सिलसिले में,
देशों की सीमाओं को लांघना शुरू
किया तब उन पश्चिमी लोगों को,
समाज की स्थापना और ईश्वर के बारे में पता चला,
भारत के उन्नत समाज,
और सर्वांगीण विकास को देख कर उनकी आँखें फटी रह गई,
खोजबीन करने पर उन्हें ये मालूम चला कि,
भारत (हिन्दुओं) के इस उन्नत समाज और,
सर्वंगीन विकास का प्रमुख आधार,
उनका "भगवान पर अटूट श्रद्धा और भक्ति" है,
ये राज की बात पता चलते ही,
पश्चिमी देशों के लोगों ने भी,
हमारे हिंदुस्तान के भगवान को आधार बना कर,
उन्होंने अपना एक नया ही भगवान खड़ा कर लिया,
(जिस प्रकार मुहम्मद ने इस्लाम को खड़ा किया),
इसके लिए उन्होंने जीजस अर्थात,
ईशा मसीह की प्रेरणा उन्होंने,
भगवान श्री कृष्ण से ली,
( क्योंकि भगवान राम,
की कॉपी करने पर उन्हें भी नया रावण और,
नए लंका का निर्माण करना पड़ जाता,
जो कि काफी दुश्कर कार्य होता),
शायद आपने कभी गौर नहीं किया है कि,
ईशा मसीह और भगवान कृष्ण में कितनी समानता है,

1 . भगवान कृष्ण की ही तरह ईशा मसीह का भी जन्म
रात में बताया गया है,

2 . भगवान कृष्ण की ही तरह ईशा मसीह
भी भेड़ बकरियां चराया करते थे,

3 . भगवान कृष्ण की ही तरह ईशा मसीह
को भी दूसरी माँ ने पाला,

4 . भगवान कृष्ण की ही तरह ईशा मसीह के
कथन को भी बाईबल कहा गया
(भगवान कृष्ण के कथन को श्रीभगवत गीता कहा गया है)

5 . हमारे हिन्दू धर्म की ही तरह बाईबल में
भी दुनिया में प्रलय जलमग्न होकर होना बताया गया है,

अब उन्होंने नया भगवान तो बना लिया,
लेकिन उन्हें संबोधित करने,
का तरीका भी उन्हें नहीं आता था,
जिस कारण उन्होंने एक बार फिर हमारे,
हिन्दू धर्म की मुंह ताकना शुरू किया,
और, यहाँ उन्हें उनका जबाब मिल गया,
हमारे हिन्दू धर्म में तीन प्रमुख देवता हैं,

१. रचयिता अर्थात  ब्रह्मा,

२. पालनकर्ता अर्थात विष्णु और,

३. संहार कर्ता अर्थात शिव 
उन्होंने हमारी इस विचारधारा को,
पूरी तरह जस के तस कॉपी कर लिया,
और उन्होंने अंग्रेजी में अपने ईश्वर को GOD
बुलाना शुरू किया,

GOD अर्थात 

G : Generetor (सृष्टि Generate करने वाला अर्थात रचयिता )

O : Operator ( सृष्टि को Operate करने वाला अर्थात पालनकर्ता )

D : Destroyer ( सृष्टि को destroy करने वाला अर्थात संहार कर्ता )

इसीलिए इन प्रमाणों से बात,
एक दम शीशे की तरह साफ है,
कि दुनिया में हिन्दू धर्म को छोड़ कर,
बाकी सारे धर्म या तो चोरी कर बनाये गए है,
या फिर उनकी सिर्फ मान्यता है,
हमारा हिन्दू या सनातन धर्म ही,
"सभी धर्मों की जननी है" और,
"अनादि अनंत निरंतर" है,

जय श्री कृष्ण

सदा बहार 

Sunday, September 30, 2012

Pitru Paksha


Pitru Paksha is one of the most important festivals of Hindus. Pitru Paksha falls on the dark fortnight of Ashvina i.e. September-October as per the English calendar. Pitru Paksha is also known as Mahalaya Paksh. It is a divine occasion to perform rituals for the deceased ancestors to keep their souls obliged for years. Pitru Pakshaa is performed for the departed immediate relatives usually up to preceding three generations. In other words these rituals are performed by the descendants of departed relative in order to keep their soul at rest.

About Pitru Paksha

Pitru Paksh is the occasion to repay debt to our departed ancestors by satisfying their souls by performing rituals. There is a notion in the Hindu society that the dead ones would alive amongst us and to keep their souls obliged a ritual called “Shraddh” is performed. It is believed that Yamaraja, the Lord of death allows the souls to come down to the earth and receive offers from their descendants. This practice is made to the dead termed as “pitris” as per Hindu religion. The last day of this period, the new moon day, is considered as the most important day in the year for performing obsequies and rites.
Pitra Paksha is performed from the 1st day of the Ashwin month and goes up to the following New Moon (Amavasya) day. Each of these 15 days is dedicated to the Shraddh of those ancestors who had met eternity on that particular day.


सभी मित्रों का स्वागत पितृ पक्ष आज शुरू होता है। 
रविवार ३० सितम्बर पर २०१२ शुरू होता है और १५ तक अक्टूबर तक रहता है। 

पितृ पक्ष हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।  पितृ पक्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अश्विना सितम्बर - अक्टूबर यानी अंधेरे पखवाड़े पर गिर जाता है. पितृ पक्ष भी महालया पक्ष के रूप में जाना जाता है। यह एक दिव्य मृत पूर्वजों के लिए अनुष्ठान करने के लिए साल के लिए बाध्य आत्माओं रखने का अवसर है। पितृ पक्षा दिवंगत तत्काल रिश्तेदारों के लिए किया जाता है आमतौर पर तीन पीढ़ियों पूर्ववर्ती. दूसरे शब्दों में इन अनुष्ठानों दिवंगत रिश्तेदार के वंश द्वारा प्रदर्शन कर रहे हैं क्रम में आराम करने के लिए उनकी आत्मा रखने के लिए। 

पितृ पक्ष के बारे में

पितृ पक्ष अनुष्ठान से उनकी आत्मा को संतोषजनक द्वारा अपने दिवंगत पूर्वजों के लिए ऋण चुकाने का अवसर है। हिंदू समाज में एक धारणा है कि मृत लोगों को जिंदा हमारे बीच होता है और रखने के लिए उनकी आत्मा श्राद्ध "प्रदर्शन कहा जाता है की रस्म करने के लिए बाध्य है. यह माना जाता है कि यमराज, मृत्यु के देवता आत्माओं पृथ्वी के नीचे आने के लिए और उनके वंश से प्रस्ताव प्राप्त करने की अनुमति देता है। इस अभ्यास के रूप में हिंदू धर्म के अनुसार मृत रूप में "पितृस" करार दिया करने के लिए किया जाता है। इस अवधि के अंतिम दिन, नया चाँद दिन, दफ़न संस्कार और प्रदर्शन के लिए वर्ष में सबसे महत्वपूर्ण दिन के रूप में माना जाता है। 

पितृ पक्ष अश्विन महीने के १ दिन से किया जाता है और निम्नलिखित नई चंद्रमा दिन (अमावस्या) तक जाता है। इन १५ दिनों के प्रत्येक उन पूर्वजों जो उस विशेष दिन पर अनंत काल से मुलाकात की थी श्राद्ध के लिए समर्पित है। 

जय श्री कृष्णा 

सदा बहार 

Friday, September 28, 2012

The Importance Of Shankha Dhwani In Our Life



In Hindu religion, Shankh, or Samkha, is of great importance and symbolizes luster, brilliance, purity and auspicious beginning. It is a pious article and is used in all religious rituals. 

The most famous Shankha is the Panchajanaya of Lord Vishnu. In the Mahabharata, Lord Krishna and the five Pandavas had a separate conch shell and it is referred in the beginning of the Bhagavad Gita. In religious rituals, Shankh is used to announce the beginning of a prayer or arrival of deity and in some places sacred water is collected and distributed in it.

Shankh literally means ‘pacifying the inauspicious.’ In Hinduism, origin of the conch shell took place during the Samudra Manthan or churning of ocean. There are two types of Shankh – left handed conch shell and right handed conch shell. Valampiri Shankh or Lakshmi Shankh is the right handed conch shell and is considered auspicious.

Shankha is blown at every festival and auspicious beginning and the sound ushers in freshness and new hope. Right handed conch shell is kept at home by many people as it is believed to bring wealth and prosperity. It is also associated with Kubera, god of wealth. Many institutions and organizations employ conch shell as their symbol.

Shankha is closely associated with Lord Vishnu and Goddess Lakshmi. Image of Lord Vishnu always has him holding a conch shell. It is believed that during the Samdura Manthan, first conch shell appeared and it was followed by Goddess Lakshmi.

Usually, right handed conch shell is used for worship. The shell is thoroughly cleaned and is placed on a clean cloth, usually red cloth. Normal puja is performed. In some places, conch shell is placed on a silver or clay pot. A cloth is used to cover the mouth of the pot and it is placed on it.

People usually collect and keep water in conch shell and is sprinkled while performing pujas. While performing Lakshmi Puja, conch shell is filled with milk and then it is poured over the idol. Water collected in Shankh is offered while worshipping sun.

Shankh is also part of classical Indian musical instruments and there 
is also a mudra based on it in classical dance. There are also numerous legends and myths associated with the conch shell in the vast Hindu literature.

Jai Shri Krishna 

Sadah Bahar 

Thursday, September 27, 2012

BHAGAVAD GITA SUMMARY IN HINDI (गीता सार)


कल्याण की इच्छा वाले मनुष्यों को उचित है कि मोह का त्याग कर अतिशय श्रद्धा-भक्तिपूर्वक अपने बच्चों को अर्थ और भाव के साथ श्रीगीताजी का अध्ययन कराएँ। 

स्वयं भी इसका पठन और मनन करते हुए भगवान की आज्ञानुसार साधन करने में समर्थ हो जाएँ क्योंकि अतिदुर्लभ मनुष्य शरीर को प्राप्त होकर अपने अमूल्य समय का एक क्षण भी दु:खमूलक क्षणभंगुर भोगों के भोगने में नष्ट करना उचित नहीं है।

गीताजी का पाठ आरंभ करने से पूर्व निम्न श्लोक को भावार्थ सहित पढ़कर श्रीहरिविष्णु का ध्यान करें--

अथ ध्यानम्
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्यनाभं सुरेशं 
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं 
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
भावार्थ : जिनकी आकृति अतिशय शांत है, जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए हैं, जिनकी नाभि में कमल है, जो ‍देवताओं के भी ईश्वर और संपूर्ण जगत के आधार हैं, जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं, नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है, अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं, जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, जो जन्म-मरण रूप भय का नाश करने वाले हैं, ऐसे लक्ष्मीपति, कमलनेत्र भगवान श्रीविष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ।

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुत: स्तुन्वन्ति दिव्यै: स्तवै-
र्वेदै: साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो-
यस्तानं न विदु: सुरासुरगणा देवाय तस्मै नम:।।
भावार्थ : ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र और मरुद्‍गण दिव्य स्तोत्रों द्वारा जिनकी स्तुति करते हैं, सामवेद के गाने वाले अंग, पद, क्रम और उपनिषदों के सहित वेदों द्वारा जिनका गान करते हैं, योगीजन ध्यान में स्थित तद्‍गत हुए मन से जिनका दर्शन करते हैं, देवता और असुर गण (कोई भी) जिनके अन्त को नहीं जानते, उन (परमपुरुष नारायण) देव के लिए मेरा नमस्कार है।


The Bhagavad Gita is the essence of the Vedas and Upanishads. It is a universal scripture applicable to people of all temperaments, for all times. It is a book with sublime thoughts and practical instructions on Yoga, Devotion, Vedanta and Action. Two of the most significant passages of the Gita are Lord Krishna's instructions to Arjuna on the nature of correct actions and the role of God in protecting his devotees. .

" खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। इसीलिए, जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान के अर्पण करता चल।
"
"You came empty handed, you will leave empty handed. What is yours today, belonged to someone else yesterday, and will belong to someone else the day after tomorrow. So, whatever you do, do it as a dedication to God! "

क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सक्ता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।
जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया।
खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है - फिर तुम क्या हो?
तुम अपने आपको भगवान के अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है।
जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान के अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंन्द अनुभव करेगा।

Hare krishna Hare Rama.Two beautiful and eternal names of this world .
CHANT....

Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare !!
Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare !!

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ..
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे .. 

jai shri krishna

sadah bahar 

Sunday, September 23, 2012

Radhashtami


APPROACH RADHARANI AND PRAY. ACCORDING TO BHAKTIVEDANTA ACHARYA SRILA PRABHUPADA WITHOUT HER RECOMMENDATION LORD SRI KEISHNA DOES NOT ACCEPT YOU AS A DEVOTEE TO SERVE HIM. SO,WE SHOULD APPROACH RADHARANI FIRST TO GET KRISHNA"S FAVOUR. ON THIS AUSPICIOUS DAY I WISH YOU "A HAPPY RADHASTAMI" FROM MAYAPUR. BARSAANE WALI RADHE KI JAI HO ! JAI SHRI RADHE RADHE !

SADAH BAHAR

Thursday, September 20, 2012

Balaram & shri krishna


Bala means "strength" and rama means "pleasure" Lord Balarama is the source of the devotee's spiritual strength. He is the original spiritual master, and we can get spiritual strength from Him. Once, Srila Prabhupada commented, "Strength means intelligence." Therefore, we can pray to Lord Balarama for spiritual strength and intelligence so we can be faithful servants of our spiritual master, of Srila Prabhupada and of his other servants, and of every living entity. -

JAI SHRI KRISHNA
HARE KRISHNA
HARE KRISHNA
KRISHNA KRISHNA
HARE HARE 
HARE RAAM
 HARE RAAM
RAAM RAAM
HARE HARE
HARI HARI BOL 

jai shri krishna 

sadah bahar 

Tuesday, September 18, 2012

Happy Ganesh Chaturthi


May Lord Ganesh shower you all with succss in all your Endeavours
Happy Ganesh Chaturthi To All Friends !!

I'am Sharing My Lord Ganesha Of My Home Mandir ( Temple )

Also I Have 20 Sms's Which U Can Share With Ur Friends N Known ones 

1) मुशिकवाहना मोदक हस्था,
चामरा करना विलम्बिथा सूत्र,
वामना रूपा महेश्वरा पुत्रा,
विघ्न विनायक पाद नमस्ते,
Happy Ganesh Chaturthy!!!

3) गजानना श्री गणराया आदि वंदु तुझा मोरया,
गणपति बाप्पा मोरया!मंगल  मूर्ति मोरया,
जय गणेश मंगल मूर्ति मोरया,
जय गणेश देवा गणपति बाप्पा मोरया,
Happy Ganesh Chaturthy!!!

गणेश चतुर्थी की पूर्व संध्या पर सभी को हार्दिक शुभकामनाए l
Wishes & Greetings On The Eve Ganesh Chaturthi. 
गणेश अष्टोत्तर शतनामावली Lord Ganesha 108 Names
ॐ विनायकाय नमः
ॐ विघ्नराजाय नमः
ॐ गौरीपुत्राय नमः
ॐ गणेशाय नमः
ॐ स्कन्दाग्रजाय नमः
ॐ अव्ययाय नमः
ॐ पूताय नमः
ॐ दक्षाय नमः
ॐ अध्यक्शाया नमः
ॐ द्विजप्रियाय नमः
ॐ अग्निगर्वच्चिदे नमः
ॐ इन्द्रश्रीप्रदाय नमः
ॐ वाणिप्रदाय नमः
ॐ अव्ययाय नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ॐ सर्वतनयाय नमः
ॐ शर्वरीप्रियाय नमः
ॐ सर्वात्मकाय नमः
ॐ श्रृष्टिकर्त्रे नमः
ॐ देवाय नमः
ॐ अनेकार्चिताय नमः
ॐ शिवाय नमः
ॐ शुद्धाय नमः
ॐ बुद्धिप्रियाय नमः
ॐ शान्ताय नमः
ॐ ब्रह्मचारिणे नमः
ॐ गजाननाय नमः
ॐ द्वैमातुराय नमः
ॐ मुनिस्तुताय नमः
ॐ भक्ताविघ्नविनाशनाय नमः
ॐ एकदन्ताय नमः
ॐ चतुर्बाहवे नमः
ॐ चतुराय नमः
ॐ शक्तिसम्युताय नमः
ॐ लम्बोदराय नमः
ॐ शूर्पकर्णाय नमः
ॐ हरये नमः
ॐ ब्रह्मविद्दुत्तमाय नमः
ॐ कालाय नमः
ॐ गृहपतये नमः
ॐ कामिने नमः
ॐ सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः
ॐ पाशांकुशधराय नमः
ॐ चंडाय नमः
ॐ गुणातीताय नमः
ॐ निरंजनाय नमः
ॐ अकल्मषाय नमः
ॐ स्वयंसिद्धाय नमः
ॐ सिद्धार्चितपदाम्भुजाय नमः
ॐ बीजपूरफलाशक्ताय नमः
ॐ वरदाय नमः
ॐ शाश्वताय नमः
ॐ कृतिने नमः
ॐ द्विजप्रियाय नमः
ॐ वीतभयाय नमः
ॐ गदिने नमः
ॐ चक्रिणे नमः
ॐ इक्शुचापध्रुते नमः
ॐ श्रीदाय नमः
ॐ अजाय नमः
ॐ उत्पालकराय नमः
ॐ श्रीपतये नमः
ॐ स्तुतिहर्षिताय नमः
ॐ कुलाद्रिभ्रुते नमः
ॐ जटिलाय नमः
ॐ कलिकल्मषनाशनाय नमः
ॐ चन्द्रचूडामणये नमः
ॐ कांताय नमः
ॐ पापहारिणे नमः
ॐ समाहिताय नमः
ॐ आश्रिताय नमः
ॐ श्रीकराय नमः
ॐ सौम्याय नमः
ॐ भक्तवांचितदायकाय नमः
ॐ शान्ताय नमः
ॐ कैवल्यसुखदाय नमः
ॐ सच्चिदानंदविग्रहाय नमः
ॐ ज्ऩानिने नमः
ॐ दयायुताय नमः
ॐ दान्ताय नमः
ॐ ब्रह्मद्वेश विवार्जिताय नमः
ॐ प्रमत्तदैत्यभयदायनमः
ॐ श्रीकंटाय नमः
ॐ विभुदेश्वराय नमः
ॐ रामार्चीताय नमः
ॐ विधये नमः
ॐ नागराजयाग्नोपवीते नमः
ॐ स्थूलकंटाय नमः
ॐ स्वयंकर्त्रे नमः
ॐ सामघोषप्रियाय नमः
ॐ परस्मै नमः
ॐ स्थूलतुंडाय नमः
ॐ अग्रगण्याय नमः
ॐ धीराय नमः
ॐ वाघीशाय नमः
ॐ सिद्धिदायकाय नमः
ॐ दूर्वबिल्वप्रियाय नमः
ॐ अव्यक्तमूर्तये नमः
ॐ अद्भुतमूर्तिने नमः
ॐ शैलेन्द्रतनुजोत्संग खेलनोत्सुखमानसाय नमः
ॐ स्वलवन्यसुधासरजित मन्मथविग्रहाय नमः
ॐ समस्तजगदाधाराय नमः
ॐ मायिने नमः
ॐ मूषिकवाहनाय नमः
ॐ ह्रुष्टाय नमः
ॐ तुष्टाय नमः
ॐ प्रसन्नात्मने नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदायकाय नमः

4) I wish u a Happy Ganesh Chaturthi and,
I pray to God for your prosperous life,
May you find all the delights of life,
May your all dreams come true.

5) गणेश कि ज्योति से नूर मिलता है,
सबके दिलों को सुरूर मिलता है,
जो भी जाता है गणेशा के द्वार,
कुछ न कुछ जर्रोर मिलता है.
Jai Shri Ganesha

6) Hoping this ganesh chatrurthi,
Will be the start of year that,
Brings happiness for you.
Happy Ganesh Chaturthi!

7) This, is a special time when family,
And friends get together, for fun,
Wishing laughter and fun to cheer your days,
In this festive season of GANESHA PUJA and always!
“Happy Ganesh Puja”

८)आपका सुख गणेश के पेठ जितना बड़ा हो,
आपका दुःख उंदर जैसा छोटा हो,
आपकी लाइफ गणेशजी के सूंड जितनी बड़ी हो,
आपके बोल मोदक जैसे मीठे हो,
बोलो गणपति बाप्पा मोरिया !!!

9) I wish u Happy Ganesh Chaturthi and,
I pray to God for your prosperous life,
May you find all the delights of life,
May your all dreams come true.
“Happy Ganesh Chaturthi”

10) Wishing you happiness as big as Ganesh’s appetite,
life is long as his trunk,
trouble as small as his mouse,
and moments as sweet as his laddus,
Sending you wishes on Ganesh Chaturthi!

11) आते बड़े धूम से गणपति जी,
जाते बड़े धूम से गणपति जी,
आखिर सबसे पहले आकर,
हमारे दिलों में बस जाते गणपति जी। 
Happy Ganesh Chaturthy!!!

12) At ganesh chatruthi ,
hoping this Ganesh chatruthi will be the start of year,
that brings the happiness. 
Jay Shri Ganesh!!

13) I heartily wish Lord Ganesha,
to fill your home with prosperity and fortune.
Best wishes on Ganesh Chatrurthi!

14) एक दो तीन चार,
गणपति कि जय जय कार,
पाँच छह सात आठ,
गणपति है सबके साथ.
Happy Ganesh Chaturthi

15) गणेश कि ज्योति से नूर मिलता है,
सबके दिलों को सुरूर मिलता है,
जो भी जाता है गणेश के द्वार,
कुछ न कुछ जर्रोर मिलता है। 
JAI GANESH!

16) गणपति बापा मोरिया,
आधा लड्डू चोरिया,
अगले बरस तू जल्दी आ। 
HAPPY Shri Ganesh

17) May the Lord vigna vighna vinayaka,
remove all obstacles and shower you with gifts.
Jai Shri Siddhi Vinayaka Ganesha

18) Hoping that this Ganesh chatruthi will be,
the start of year that brings the happiness,
that lord Ganesh fills your home with prosperity & fortune.
Best wishes on ganesh chatrurthi

19) देवा हो देवा,
गणपति देवा,
तुमसे बड़ कर कौन,
और तुम्हारे भक्त जानो में,
सबसे ज्यादा एसएमएस करता कौन,
तुम भी बन सकते हो सबसे ज्यादा एसएमएस भक्त,
forward this message to all your friends .
and say – Happy Ganesh Chaturthi

20) I wish u HAPPY GANESH PUJA 
and pray to God for your prosperous life,
May you find all the love of life,
may ur all dreams come true.

~ ~ Sadah Bahar ~ ~